
Falgu Mukti Dayani PadYatra 2016
दिनांक 4-12-2016 फल्गु मुक्ति दायनी पद यात्रा का शुरुआत हुआ।
मनात नदी आगे जाकर अमानत नदी के नाम से जाना जाता है। चतरा से जोरि के बिच में फल्गु नदी को जाम नदी बोला जाता है। जाम नदी किनारे पर बसे गांव गोड़रा, भुइयांडीह एवं राजगुरवा में लोगो से बातचीत उनसे नदी के बचाव पर चर्चा किया गया। जिसमे हमने राजगुरवा गांव पहुंचा, वहाँ बातचीत करना के बाद २ किलोमीटर उत्तर खजुरिया आहर पहुंचे जोकि छोटकी जोरी गांव में स्थित है। वहां के निवासी चन्द्रिका यादव ने बतया की आहर से उनको बहुत लाभ होता है इस आहर के कारन गांव बालो को खेती के लिए पटबन जोकी गर्मीयो में भी पटबन के लिए पानी कमी नहीं होती,एवं गांव का वाटर टेबल भी काफी मजबूत है।
फिर हमने १ किलोमीटर अगले गांव में जिसका नाम भी जोरि खुर्द है। इस गांव किनारे पर दो छोटी छोटी नदियों का संगम होती है एक नदी जाम है जो पूरब से आती है एवं दूसरी नदी नीलांजन है जो पच्चिम से आकर मिलती है, मिलने के बाद फल्गु नदी बन जाती है। यहां के निवासी मो. तावीश अंसारी ने बतया की इस वर्ष बाढ़ के काफी तबाही हुई जीके कारन नदी के किनारे जो जमीन कीमत २ से ३ लाख होते थे उसकी कीमत 10 से 20 हज़ार हो गयी है। इससे साफ पता चलता है की बाढ़ का कितना आसर पड़ा है। इस गांव में हमारी टीम वृक्षरोपण एवं नदियों के बचाव के बारें में लोगो को बताया।
इसी गांव के दूसरी तरफ कुरसौल गांव है। जहाँ भी हम लोग गए लोगो नदी के प्रति जागरूक किया। आगे जोरि बाजार में स्थित एस एस उच्च विद्यालय में हमलोग बल संसद लगाया गया। जिसमे हमने प्राचार्य महोदय (अरुण कुमार ) एवं बच्चो से विचार विमर्श किया एवं बच्चो को दो पेड़ भी लगाने के लिए सपथ भी दिलवाया।
हमारी टीम सभी पदयात्री, सहयोगी एवं पत्रकारों को धन्यवाद करती है।